"पुराणों और प्राचीन कथाओं में उल्लेख मिलता है कि तपस्वी, ऋषि मुनि और साधक वायु मार्ग पर गमन करते थे और पानी के उपर चलते थे. आज के तकनीकि युग के लोग इस पर सहसा विश्वास नहीं करते तो कई लोग इसे धर्म भीरुता का लबादा उढ़ा कर इसे खारिज कर देते हैं. लेकिन यह शत प्रतिशत सत्य व संभव है. इसे साधना के द्वारा आज भी किया जा सकता है."
यह कहना है समाजसेवी एवं जलयोग आचार्य लक्ष्मी यादव का. उनके अनुसार योग में वे शक्तियां है कि आप जैसा चाहें कर सकते है. तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान यह क्रिया योग है. इसी योग का एक हिस्सा है जलयोग . इस योग की सहायता से आप जल पर विजय प्राप्त कर लेते हैं. आप पानी पर लेट सकते हैं . शनैः-शनैः नियमित अभ्यास के बाद आप पानी में स्थिर सीधे खड़े हो सकते हैं, पानी में चल सकते हैं और जिस मुद्रा को आप पानी में अपनाना चाहें सब कुछ संभव है. श्री यादव ने बताया कि काफी लोगों की जान पानी में डूबने से जाती है. यदि वे जलयोग जाने तो उनका पानी में डूबना असंभव है. और जलयोग को जानने के लिये कोई कठिन साधना की भी जरूरत नहीं है न ही यह जरूरी है कि आप को तैरना आता हो. फिर यह योग प्राचीन भारतीय संस्कृति का अंग है. वे चाहते हैं कि इस योग का पूरे विश्व में प्रचार हो और वे इस जलयोग को पूरे विश्व में फैलाने सभी जगह बुलावे पर जाकर जलयोग का प्रदर्शन करने व प्रशिक्षण देने को तैयार है. श्री यादव के अनुसार जलयोग से शरीर को कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है वहीं शरीर स्वस्थ रहता है इसके अलावा भी कई शारीरिक, मानसिक व बौध्दिक फायदे होते हैं.
2 comments:
यकीन नहीं आता भाई साहब
रामा जी,इस पोस्ट मे जो लिखा है वह सच हो सकता है ..क्यूँकि मै मानता हूँ अगर हम पूरी तरह प्रभू को समर्पित हो जाए तो असम्भव भी सम्भव हो सकता है...लेकिन हम में अब इतनी कमियां आ चुकी हैं कि हमे ये बातें अब विश्वास योग्य नही लगती।
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