यह जलयोग की सबसे कठिन साधना है. लेकिन इस साधना पर निपुण होने पर वृद्धावस्था जल्दी नहीं आती तथा शरीर स्थूल होने से बचता है. मोटापा कम करने के लिये यह बेहतर आसन है. इस आसान में शरीर में चारों ओर से पड़ने वाले जल के दबाव से शरीर छरहरा होता है और मोटापा कम होने के परिणाम बहुत जल्द मिलने लगते है. साथ ही स्टेमना बढ़ता है.
Friday, August 31, 2007
Tuesday, August 28, 2007
60 मिनट के विश्व रिकार्ड का दावा
जलयोग आचार्य लक्ष्मी यादव ने पानी में शरीर के किसी अंग को हिलाए बगैर सीधे 90 डिग्री के कोण में बिना हिले डुले विश्व में सर्वाधिक समय तक खड़े रहने का दावा किया है. उन्होंने बताया कि उनकी अब तक की अधिकतम जानकारी के अनुसार अमूमन कोई भी व्यक्ति पानी में बगैर हिले डुले सीधा नहीं खड़ा रह सकता लेकिन यदि ऐसा कोई कर भी लेता है तो उनके बराबर एक घंटे तक नहीं खड़ा रह सकता. उन्होंने बताया कि जलयोग की इस क्रिया के ज्ञाता भारत के अलावा कहीं हो भी नहीं सकते क्योंकि यह योग मूलतः भारत की प्राचीन पद्धति है और युगों-युगों से यहां के लोगों द्वारा की जाती रही है. उन्होंने जलयोग को भगवान श्री कृष्ण के कालखंड से जोड़ते हुए बताया कि उस काल खंड में जलयोग अपने पूर्ण अस्तित्व में आया. उन्होंने बताया कि वासुदेव जी जब श्रीकृष्ण के जन्म के बाद उन्हें लेकर जमुना नदी को पार कर रहे थे और जमुना जी का पानी लगातार बढ़ता जा रहा था तब भी वे अनवरत चलते जा रहे थे . वासुदेव का इस तरह से चलना जलयोग ही था. श्री यादव ने बताया कि बाद में वासुदेव ने यह योग श्रीकृष्ण जी को सिखाया. इसी योग से श्री कृष्ण यमुना नदी में गोपियों के कपड़े लेकर नदी में खड़े रहते थे. श्री यादव ने अपने जलाशन को अब तक के कई जलाशनों से अनोखा बताते हुए कहा कि उन्होंने कुछ जलाशन नए तैयार किये है. उन्होंने बताया कि उनके जलयोग का प्रसारण विगत 18 अगस्त को आजतक में और 19 अगस्त को जीटीवी व जनमत में भी किया जा चुका है. उनकी मंशा है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जलयोग सिखाएं ताकि इस विधा का प्रचार-प्रसार हो सके.
Sunday, August 26, 2007
जलाशन- 1
शरीर को होने वाली थकान व इससे बनने वाली ब्याधियों को दूर करता है. तनाव से राहत दिलाने में काफी सहायक होता है.
Saturday, August 25, 2007
जी हां आदमी पानी में चल सकता है
"पुराणों और प्राचीन कथाओं में उल्लेख मिलता है कि तपस्वी, ऋषि मुनि और साधक वायु मार्ग पर गमन करते थे और पानी के उपर चलते थे. आज के तकनीकि युग के लोग इस पर सहसा विश्वास नहीं करते तो कई लोग इसे धर्म भीरुता का लबादा उढ़ा कर इसे खारिज कर देते हैं. लेकिन यह शत प्रतिशत सत्य व संभव है. इसे साधना के द्वारा आज भी किया जा सकता है."
यह कहना है समाजसेवी एवं जलयोग आचार्य लक्ष्मी यादव का. उनके अनुसार योग में वे शक्तियां है कि आप जैसा चाहें कर सकते है. तप, स्वाध्याय और ईश्वर प्रणिधान यह क्रिया योग है. इसी योग का एक हिस्सा है जलयोग . इस योग की सहायता से आप जल पर विजय प्राप्त कर लेते हैं. आप पानी पर लेट सकते हैं . शनैः-शनैः नियमित अभ्यास के बाद आप पानी में स्थिर सीधे खड़े हो सकते हैं, पानी में चल सकते हैं और जिस मुद्रा को आप पानी में अपनाना चाहें सब कुछ संभव है. श्री यादव ने बताया कि काफी लोगों की जान पानी में डूबने से जाती है. यदि वे जलयोग जाने तो उनका पानी में डूबना असंभव है. और जलयोग को जानने के लिये कोई कठिन साधना की भी जरूरत नहीं है न ही यह जरूरी है कि आप को तैरना आता हो. फिर यह योग प्राचीन भारतीय संस्कृति का अंग है. वे चाहते हैं कि इस योग का पूरे विश्व में प्रचार हो और वे इस जलयोग को पूरे विश्व में फैलाने सभी जगह बुलावे पर जाकर जलयोग का प्रदर्शन करने व प्रशिक्षण देने को तैयार है. श्री यादव के अनुसार जलयोग से शरीर को कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है वहीं शरीर स्वस्थ रहता है इसके अलावा भी कई शारीरिक, मानसिक व बौध्दिक फायदे होते हैं.
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